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जापान में तूफ़ान और ज़लज़ले के साथ शुरू हुई ३१ अगस्त की तारीख राजनीति में भूकम्प लेकर आई। खत्म हुआ एलडीपी का सुनहरा राज और दूसरे महायुद्ध के बाद पहली बार पलट गई सत्ता। जनता ने निकम्मी, नाकारा, ढुलमुल और कमज़ोर के विशेषणों से अलंकृत डैमोक्रेटिक पार्टी को सौंप दी सत्ता की बागडोर। जीत के जश्न में न ढोल बजे न नगाड़े, मालाओं का ढेर भी नदारद था। विजेता दल के नेता और भावी प्रधानमंत्री युकिओ हातोयामा बस एक बार मुस्कुराए। जापान का ट्रेडमार्क विक्टरी साइन भी लापता दिखा। असल में उनके सिर पर भी सुपर बास ओज़ावा की तलवार है , जाने उन्हें गद्दी मिलेगी या ओज़ावा खुद विराजमान हो जाएँगे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के सिंहासन पर। जय जनता जापान की।