नववर्ष 2010
लो फिर आ गया नया साल
लेकर सपनों का जंजाल
कुछ सच्चे-कुछ झूठे, कुछ पक्के-कुछ कच्चे, कुछ रूठे-कुछ अपने
तो आइए नए साल के बहाने
देखें कुछ सपने हम और आप
कम होगा जगती का ताप, भूख, बीमारी और अभाव
मानव का दुख और संताप, मिटेगा, है अगर कुछ पाप
सपने तो सपने हैं
भला सपनों से क्या मलाल
पूरे हों या रहें अधूरे
इनके सहारे कट तो जाएगा
एक और नया साल।।
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1 comment:
naya sal mubarak akhil ji.
-rajendra upadhyay
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